मनुाणां सहेषु कितित िसये |
यततामिप िसानां किां वेि तत: || 3||
भूिमरापोऽनलो वायु: खं मनो बुरेव च |
अहार इतीयं मे िभा कृ ितरधा || 4||
अपरेयिमतां कृ ितं िव मे पराम् |
जीवभूतां महाबाहो ययेदं धायते जगत् || 5||
एतोनीिन भूतािन सवाणीुपधारय |
अहं कृ जगत: भव: लयथा || 6||
म: परतरं नािद धनय |
मिय सविमदं ोतं सूे मिणगणा इव || 7||
रसोऽहमु कौेय भा शिशसूययो: |
णव: सववेदेषु श: खे पौषं नृषु || 8||
पुो ग: पृिथां च तेजा िवभावसौ |
जीवनं सवभूतेषु तपा तपषु || 9||
बीजं मां सवभूतानां िव पाथ सनातनम् |
बुबुमताम तेजेजनामहम् || 10||
बलं बलवतां चाहं कामरागिवविजतम् |
धमािवो भूतेषु कामोऽ भरतषभ || 11|
ये चैव साका भावा राजसाामसा ये |
म एवेित ता न हं तेषु ते मिय || 12||
ििभगुणमयैभावैरेिभ: सविमदं जगत् |
मोिहतं नािभजानाित मामे: परमयम् || 13||
दैवी ेषा गुणमयी मम माया द
ु
रया |
मामेव ये पे मायामेतां तर ते || 14||
न मां द
ु
ृ ितनो मूढा: पे नराधमा: |
माययापताना आसुरं भावमािता: || 15||
चतुिवधा भजे मां जना: सुकृ ितनोऽजुन |
आत िजासुरथाथ ानी च भरतषभ || 16||
तेषां ानी िनयु एकभिविशते |
ियो िह ािननोऽथमहं स च मम िय: || 17||
उदारा: सव एवैते ानी ाैव मे मतम् |
आथत: स िह युाा मामेवानुमां गितम् || 18||
बनां जनामे ानवाां पते |
वासुदेव: सविमित स महाा सुद
ु
लभ: || 19||